आधार के डेटाबेस की सुरक्षा को लेकर फिर सवाल उठे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महज 2500 रुपये खर्च कर फर्जी आधार बनाया जा सकता है। हालांकि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
हॉफिंगटन पोस्ट ने तीन महीने लंबी पड़ताल के बाद एक रिपोर्ट में कहा है कि आधार का सॉफ्टवेयर हैक किया जा चुका है और भारत के करीब एक अरब लोगों की निजी जानकारी दांव पर लगी है। कहा गया है कि आधार डेटा में एक सॉफ्टवेयर पैच के जरिए सेंध लगाई जा सकती है और सुरक्षा फीचर बंद किया जा सकता है। एक सॉफ्टवेयर के जरिये दुनिया में कहीं भी बैठा व्यक्ति किसी के भी नाम से आधार कार्ड बना सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यूआईडीएआई ने जब टेलीकॉम कंपनियों को आधार तक पहुंच का मौका दिया था उसी दौरान यह खामी सामने आई। दावा यह भी किया गया है कि आधार सॉफ्टवेयर की आंखों को पहचानने की संवेदनशीलता को भी पैच कमजोर कर देता है, जिससे सॉफ्टवेयर को धोखा देकर व्यक्ति की तस्वीरों से आधार बनाया जा सकता है।
बेचा जा रहा सॉफ्टवेयर
रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार हैक करने वाला सॉफ्टवेयर 2,500 रुपये में व्हाट्सएप पर बेचा जा रहा है। साथ ही यूट्यूब पर भी कई वीडियो हैं जिनमें एक कोड के जरिए किसी के भी आधार कार्ड से छेड़छाड़ कर नया आधार कार्ड बनाया जा सकता है।
भम्र फैलाया जा रहा
यूआईडीएआई ने बयान जारी कर कहा कि आधार इनरोलमेंट सॉफ्टवेयर के हैक किए जाने की रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है। कुछ निजी हितों के कारण जानबूझकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। आधार के डेटाबेस में सेंधमारी असंभव है।