राज्यसभा में चीन-भारत संबंधों पर सुषमा स्वराज ने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर अपनी बात रखी। सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत ने मोदी सरकार के आने के बाद अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को नई उंचाईयों पर पहुंचाया है। सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमनें कम किया। इस दौरान चीन-भारत तनातनी को लेकर सुषमा स्वराज ने कहा कि हम हर संभव संबंधों को बेहतर कर रहे हैं, पर राहुल गांधी ने संकट के वक्त चीनी राजदूत से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकल सकता, बल्कि राजनयिक कोशिशों से निकलता है। सुषमा स्वराज ने कहा कि आज सामरिक क्षमता बढ़ाने से ज्यादा अहम है आर्थिक क्षमता को बढ़ाना। इस दौरान उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते के समय़ ट्रंप की खरीखोटी पर बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को आइना दिखाया। इस दौरान उन्होंने डोकलम विवाद पर बोलते हुए कहा कि भारत-चीन को 2012 के समझौते पर ही काम करना होगा। हमारे बीच राजनयिक संबंध जारी हैं। और हम 2012 के समझौते के मुताबिक ही काम कर रहे हैं।
सुषमा स्वराज ने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि हम अमेरिकी विदेश नीति में जूनियर साथी हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत ने बिलियन और बिलियन डॉलर के लिए पेरिस जलवायु समझौते पर दस्तखत किए। पर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत पलटवार किया। प्रधानमंत्री ने डोनल्ड ट्रंप को आइना दिखाते हुए कहा कि हम किसी के एक पैसे के मोहताज नहीं हैं। पर्यावरण को बचाने की प्रतिबद्धता हमारी 5 हजार सालों की हैं। हम धरती को बचाने के लिए काम करते रहेंगे। ये हमारी सरकार है, जो ट्रंप सरकार को चुनौती देने का माद्दा रखती है।
सुषमा स्वराज ने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना सीपीईसी के विरोध करने पर विपक्ष हमारा विरोध कर रहा है। ये कौन सी नीति है कि विपक्ष ही पीओके पर गलत रास्ते पर चलने को कह रहा है। हम उस सीपीईसी का हिस्सा कैसे बन सकते हैं, जो हमारे पीओके के 400 किमी हिस्से से होकर गुजरता है। हमनें राष्ट्र की संप्रभुता को देखते हुए सीपीईसी का बायकाट किया। ओबीओार, सीपीईसी का विरोध हमारे देश की संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम रमुआ और हरिया नहीं है कि किसी के इशारे पर काम करें।
सुषमा स्वराज ने चीन पर भारत के स्टैंड पर अपना आधिकारिक नोट पढ़ते हुए कहा कि डोकलम ईश्यू को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ा जरूर है। डोकलम ट्राई जंक्शन को लेकर भारत-चीन अपने अपने रूख पर कायम है। चीन हमसे सेना हटाने को कहता है। हमनें 2012 के डोकलम नोट के हिसाब से दोनों ही पक्षों को पीछे हटने को कहा है। जबतक चीन की सेनाएं पीछे नहीं हटेंगी, हम इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करेंगे। सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर हमारा पक्ष 1914 के ब्रिटेन-चीन समझौते के हिसाब से है।
पड़ोसियों के साथ संबंधों पर बात करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि नेपाल में तबाही के समय सब मानकर चल रहे थे कि चीन नेपाल के लिए आगे आएगा। भारत सरकार ने सबसे पहले मदद पहुंचाई। हमनें 1 बिलियन डॉलर की मदद दी। उन्होंने कहा कि 17 सालों तक भारत का कोई प्रधानमंत्री नेपाल की धरती पर नहीं गया। आपकी सरकार थी 12 सालों तक। राजीव गांधी के समय जितना बड़ा ब्लॉकेज(विदेश संबंधों में) था, वो किसी को याद दिलाने की जरूरत नहीं। आप 17 सालों तक न जाएं तो पड़ोसियों से संबंध अच्छे, हम 2 बार जाएं तो संबंध खराब.? उन्होंने कांग्रेस को चेताया कि वो गलत जानकारियां न दे।
सुषमा स्वराज ने एक अन्य पड़ोसी मालदीव के बारे में कहा कि वहां पानी की कमीं पड़ी। मालदीव के विदेश मंत्री का फोन आया, हमनें 3 घंटों के भीतर ही वहां पेयजल भेजा। उन्होंने पड़ोसी देशों से संबंधों पर बताया कि शेख हसीना यहां आई तो हमनें क्या कर दिया? कि वो खिलाफ हो गया। पर अब बांग्लादेश के साथ सबसे अच्छे संबंध भारत के हैं। भूटान तो भारत का डियरेस्ट कंट्री है।
उन्होंने कहा कि चीन भारत को लंबे समय से घेर रहा था। हमारे पड़ोसी देशों मे ंनौसैनिक अड्डे बना रहा था। आपकी सरकार थी। आपने क्या किया था। उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में साल 2006 में ग्वादर पर चीन का कब्जा शुरू हुआ। आपने क्या किया। श्रीलंका के हंबनटोटा पोत पर चीन ने काम 2008 में शुरू किया, साल 2011 में काम पूरा हुआ। आपकी सरकार ने क्या किया। कोलंबे के प्रोजेक्ट में 85 चीनी हिस्सेदारी थी। इसपर काम 2011 में शुरू हुआ और 2014 में काम खत्म आपकी सरकार ने क्या किया। साल 2013 तक ग्वादर में सिंगापुर की कंपनी थी, उसे चीन ने हथिया लिया। उस समय किसकी सरकार थी? उन्होंने कहा कि आपको 2008, 2011, 2014 में चीन के घेरने की याद नहीं आई। आपको आज विदेश नीति की याद आ रही। देश की सुरक्षा की याद आ रही है। सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने तो हंबनटोटा अब सिक्योर किया। अब हंबनटोटा पर कंट्रोल श्रीलंका का रहेगा।
पाकिस्तान के साथ संबंधों पर बोलते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने तो सरकार बनाते ही पाकिस्तान समेत सभी पड़ोसी देशों को बुलाया था। द्विपक्षीय बातचीत भी हुई थी। साल 2015 हर्ट ऑफ इंडिया में पाकिस्तान गई, तो नवाज शरीफ ने फिर से बातचीत की शुरुआत की। हमनें द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत की। इसका मतलब होता है सिर्फ दो देशों के बीच वार्ता। दिसंबर 2015 में ये शुरू हुआ। हमनें शुरू किया। प्रधानमंत्री का काबुल से लाहौर जाना.. इसी का हिस्सा था। 25 दिसंबर को काबुल से नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई दी और नवाज ने कहा कि लौटते समय यहां से होकर जाइए। हम गए। पठानकोट के बाद भी हम भारी रहे। पठानकोट से पहले वो हमेशा डिनायल मोड में रहता था। पहली बार उसने सहयोग किया। बुरहान वाणी को मारने के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंध बिगड़े, तब नवाज शरीफ ने उसे शहीद कहा। हमनें तो बातचीत का रोडमैप बना लिया था। पर उन्होंने खराब कर दिया। हमारा रोडमैप साफ है। आतंकवाद बंद हो, उसी दिन बातचीत शुरू हो जाए।
सुषमा स्वराज ने विपक्ष को आइना दिखाते हुए कहा कि अब युद्ध और सामरिक क्षमता से किसी को अपनी ताकत नहीं दिखा सकते। आज सामरिक क्षमता बढ़ाने की जगह आर्थिक क्षमता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। सुषमा स्वराज ने कहा कि चीन के साथ 2014 तक 116 बिलियन डॉलर का व्यापार था। आज 37 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
अमेरिका से संबंधों और एच1 वीजा पर बोलते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि शुरु में वीजा की संख्या 65 हजार थी। अटल सरकार में 1 लाख 95 हजार हुई। यूपीए में 2004 में दुबारा 65 हजार हुआ। आजतक 65000 और 20 हजार पीएचडी की संख्या बरकरार है। एच1 वीजा की संख्या जस की तस बरकरार है। स्पाउस वीजा 2015 में पीएम मोदी के प्रयास से ही मिला था। इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं है। इसके तहत शादीशुदा लोग अब वहां काम कर रहे हैं।
सीताराम येचुरी ने इजरायल की बात की। बेस की बात कह रहे थे, वो गलत हैं। इजरायल के साथ सैन्य अड्डे पर कोई बातचीत नहीं है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि रामगोपाल यादव कह रहे थे कि तब भारत के साथ रूस था तो अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था। पर हमारी सरकार की सफलता है कि आज अमेरिका और रूस दोनों ही हमारे साथ हैं।
इजरायल हमारा दोस्त जरूर है, पर फिलीस्तीन पर हमारा स्टैंड कभी नहीं बदला। इजरायल के साथ 25 सालों का राजनयिक संबंध है। पर कभी विदेश मंत्रियों(जेसीएम) के बीच बैठक नहीं हुई। पर मैंने फिलिस्तीन-इजरायल दोनों की यात्रा की। राष्ट्रपति महोदय ने दोनों देशों की यात्रा की। हमारे प्रधानमंत्री इजरायल गए, वो दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों का 25वीं वर्षगांठ थी। इन संबंधों की शुरुआत नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार में हुई थी।
फिलिस्तीन ने कहा कि वो अपने संबंधों का इस्तेमाल करके इजरायल पर दबाव डाले। हम कह रहे हैं कि हम इजरायक के साथ हैं, पर फिलिस्तीन के खिलाफ नहीं। फिलिस्तीन हमसे अपनी दिक्कतों को सुलझाने के लिए हमारी मदद मांग रहा है, हम दे रहे हैं।
सुषमा स्वराज ने कहा कि हमारे साथियों में झगड़ा डालने की आदत है। आनंद शर्मा ने शुरू किया, शरद यादव ने आगे बढ़ाया। सीताराम येचुरी ने आग में घी डाला। मैं डॉक्टर मनमोहन सिंह से पूछना चाहती हूं कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने कितने बार सलमान खुर्शीद, एसएम कृष्णा को साथ लेकर गए? आज भारत उस बुलंदी पर है, जहां किसी भी देश के दौरे पर जाने पर मुझसे सिर्फ विदेश मंत्री ही नहीं, बल्कि उस देश के प्रधानमंत्री भी मिलते हैं। मुझसे पहले के विदेश मंत्री पता नहीं कैसा भाग्य लेकर आए थे, जहां एमईए का कोई रोल नहीं होता था। अब एमईए अपना पूरा रोल अदा करता है।