पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में नालंदा जिले की अस्थावां विधानसभा सीट एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यहां जदयू ने जितेंद्र कुमार, राजद ने रवि रंजन कुमार (ravi ranjan kumar – RJD) और जन स्वराज पार्टी ने लता सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।
अस्थावां विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी। यह नालंदा लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जिसमें अस्थावां, बिंद और सरमेरा प्रखंड व बरबीघा प्रखंड का एक भाग शामिल है। अब तक इस सीट पर 18 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2001 का उपचुनाव भी शामिल है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो नालंदा जिले से ही आते हैं, का इस सीट पर गहरा प्रभाव रहा है। 2001 के बाद से जदयू या उसकी पूर्ववर्ती पार्टी समता पार्टी ने यहां लगातार छह बार जीत दर्ज की है। दिलचस्प बात यह है कि 1985 से 2000 तक यहां निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा रहा, जिन्होंने चार बार लगातार और कुल पांच बार जीत हासिल की।
अब तक इस सीट पर कांग्रेस चार बार, जनता पार्टी दो बार और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी एक बार जीत चुकी है। जबकि भाजपा और राजद जैसी बड़ी पार्टियां अब तक यहां अपना खास प्रभाव नहीं बना सकी हैं। राजद को इस सीट पर पहली जीत का इंतजार है।
राजद का युवा चेहरा — रवि रंजन कुमार
वर्तमान में कतरीसराय के मुखिया हैं और नालंदा जिले के सबसे युवा चेहरों में से एक हैं। रवि रंजन कुमार लगातार राजद की विचारधारा के साथ सक्रिय रहे हैं — चाहे राजद का प्रचार-प्रसार हो या तेजस्वी यादव से मुलाकात, वे हमेशा पार्टी की मुख्यधारा में शामिल रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार अस्थावां में भूमिहार, राजद और मुस्लिम गठजोड़ के सहारे रवि रंजन कुमार (ravi ranjan kumar) तेजस्वी यादव के लालटेन को अस्थावां में रोशन कर सकते हैं।
अस्थावां सीट पर इस बार युवाओं की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है, राजद के वरिष्ठ नेता वाहिद खान रवि रंजन के लिए अहम भूमिका निभा रहे है वाहिद खान के आने से अस्थावां के जनता के बीच उत्साह का माहौल है।


