Sunday, August 3, 2025
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Exclusive Interview: “जनसेवा का दूसरा अध्याय”: करगहर से चुनाव लड़ने की तैयारी में दिनेश कुमार राय से बातचीत

पटना। प्रशासनिक सेवा में एक दशक से अधिक वक्त तक अपनी ईमानदारी और कुशलता से पहचान बना चुके आईएएस दिनेश कुमार राय ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर राजनीति में नई पारी शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। पश्चिम चंपारण के डीएम से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आप्त सचिव तक के सफर में उन्होंने सुशासन के कई मॉडल ज़मीन पर उतारे। माना जा रहा है कि वे 2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर करगहर विधानसभा से मैदान में उतर सकते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह ने उनसे इस परिवर्तन और उनके भविष्य की योजनाओं को लेकर खास बातचीत की।

अनूप नारायण सिंह (प्रश्न): आपने एक प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवा को छोड़कर करगहर जैसे क्षेत्र से चुनावी राजनीति की राह चुनी है। ऐसा निर्णय क्यों?

दिनेश राय (उत्तर): जनसेवा मेरे लिए हमेशा से प्राथमिकता रही है। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए मैंने व्यवस्था के भीतर रहकर काम किया, लेकिन अब मुझे लगा कि नीतियों को बनाने और लागू करने दोनों स्तरों पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। करगहर मेरा अपना क्षेत्र है, मेरी मिट्टी है। वहाँ के लोगों से आत्मीय जुड़ाव है।

प्रश्न: अफसर से जनप्रतिनिधि बनने की प्रक्रिया में आप खुद को कैसे ढालते हैं?

उत्तर: अफसर रहते हुए सिस्टम को ठीक करने की सीमाएं होती हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि बनकर आप नीतिगत बदलाव कर सकते हैं, लोगों की आकांक्षाओं का सीधा प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। मेरे लिए यह सिर्फ भूमिका का बदलाव नहीं, बल्कि सेवा का विस्तार है।

प्रश्न: आप नीतीश कुमार के आप्त सचिव रहे हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

उत्तर: नीतीश जी मेरे मार्गदर्शक हैं। उनके साथ वर्षों तक काम करते हुए मैंने देखा कि शासन को कैसे संवेदनशील और जवाबदेह बनाया जा सकता है। सुशासन की परिभाषा क्या होती है, ये उनसे सीखा। वही प्रेरणा मुझे राजनीति में लेकर आई है।

प्रश्न: क्या आप नीतीश मॉडल को ही राजनीति में आगे बढ़ाएंगे या कुछ नया भी जोड़ेंगे?

उत्तर: नीतीश मॉडल बिहार में सकारात्मक बदलाव की मिसाल है। मैं उसमें नई पीढ़ी की भागीदारी, तकनीक और पारदर्शिता को और मजबूत करना चाहता हूं। मेरे लिए नीतीश जी की नीति और युवाओं की ऊर्जा का समन्वय भविष्य की राह है।

प्रश्न: करगहर में कुर्मी समाज का खासा प्रभाव है और आप भी इसी जाति से आते हैं। क्या यह समीकरण आपकी जीत में निर्णायक होगा?

उत्तर: जातीय समीकरण ज़रूर भूमिका निभाते हैं, लेकिन मेरे लिए असली ताकत जनता का विश्वास है। मैं सिर्फ कुर्मी समाज नहीं, बल्कि OBC, दलित, महादलित सभी वर्गों में विश्वास और संवाद स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा हूं।

प्रश्न: आपने जदयू का ही विकल्प क्यों चुना?

उत्तर: जदयू की विचारधारा मेरे प्रशासनिक अनुभव और सोच से मेल खाती है। सामाजिक न्याय, विकास और सुशासन—इन तीनों स्तंभों पर जदयू ने लगातार काम किया है। यही कारण है कि मैंने इस मंच को चुना।

प्रश्न: करगहर की बड़ी समस्याएं क्या हैं, और आप उन्हें कैसे सुलझाएंगे?

उत्तर: शिक्षा की गुणवत्ता, कृषि को बाजार से जोड़ना और पलायन रोकना सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। मैं अपने प्रशासनिक अनुभव से योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करने का काम करूंगा।

प्रश्न: क्या अफसर रहते हुए आपने महसूस किया कि व्यवस्था में बदलाव जनप्रतिनिधियों के बिना अधूरा है?

उत्तर: बिल्कुल। कई बार योजनाएं बन जाती हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों की सक्रियता के अभाव में ज़मीन पर नहीं उतरतीं। मैंने इसे महसूस किया है और इसलिए अब उस कमी को दूर करने की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं।

प्रश्न: आपकी छवि एक ईमानदार अफसर की रही है, राजनीति में इसे कैसे बनाए रखेंगे?

उत्तर: छवि वक्त के साथ नहीं, कार्यों से बनती है। मैंने कभी किसी शॉर्टकट या समझौते का रास्ता नहीं चुना। राजनीति में भी वही मूल्य लेकर चलूंगा—सादगी, जवाबदेही और पारदर्शिता।

प्रश्न: बिहार के युवाओं के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर: राजनीति गंदा खेल नहीं है, अगर अच्छे लोग इससे जुड़ें। मैं युवाओं से यही कहना चाहता हूं—अपने समाज, अपने राज्य को बदलने के लिए आगे आइए। आप अफसर बनें, नेता बनें, लेकिन ईमानदारी और जनसेवा का रास्ता कभी न छोड़ें।

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